वे जो सीमा पर लड़ते लड़ते
बात बात में हँसते हँसते
अपने तिरंगे की शान बचाकर
शहीद हुए सबकुछ माँ को अर्पण कर
अपनी धरती को हम हिंदुस्तान न कहते
अगर वो तब अपना सरस्व बलिदान न करते
जो सीमा पार की गोली खाकर
ध्वज को फिर भी लहराकर
अपने प्राणों की आहुति देदी
देश ये अपना हमे सौपकर
आज हम यूँ स्वाधीन न होते
अगर वो उस दिन कुर्बान न होते
सीना गोलियों से भरा पड़ा था
पर वो फिर भी सीना तान खड़ा था
पंछी की आवाज में वो चहक न होती
इन हवा के झोकों में स्वाभिमान की महक न होती
हम आज खुशी से नयी सदी में दस्तक न करते
यदि वोह उस दिन माँ के चरणों में मस्तक न धरते
अगर वोह उस दिन बलिदान न करते
सबकुछ अपना कुर्बान न करते
तो...............