Tuesday, February 1, 2011

बलिदान



वे जो सीमा पर लड़ते लड़ते
बात बात में हँसते हँसते
अपने तिरंगे की शान बचाकर
शहीद हुए सबकुछ माँ को अर्पण कर
अपनी  धरती को हम हिंदुस्तान न कहते
अगर वो तब अपना सरस्व बलिदान न करते


जो सीमा पार की गोली खाकर
ध्वज को फिर भी लहराकर
अपने प्राणों की आहुति देदी
देश ये अपना हमे सौपकर
आज हम यूँ  स्वाधीन न होते
अगर वो उस दिन कुर्बान न होते

सीना गोलियों से भरा पड़ा था
पर वो फिर भी सीना तान खड़ा था
पंछी की आवाज में वो चहक न होती
इन हवा के झोकों में स्वाभिमान की महक न होती
हम आज खुशी से नयी सदी में दस्तक न करते
यदि वोह उस दिन माँ के चरणों में मस्तक न धरते

अगर वोह उस दिन बलिदान न करते
सबकुछ अपना कुर्बान न करते
तो...............